wellcome to nitinisking

jai shree raam

शनिवार, फ़रवरी 05, 2011

            क्यों माने खुद को कमजोर                                                                                                                
 ऐसा तो नहीं की सामने आरहे अब्सरो को आप ये सोच केर छोड़ रहे है की आप उनके लिए आप योग्य नहीं
जबकि वो आप को नई उचाई दे सकते है यदि  आप अपने को कमजोर मानते रहोगे तो शायद आप ऐसे अब्सरो को
गाबा बैठोगे |
जरा इन सवालो को के जवाब को खुद सोचे | और अपनी पहचान को समझे
  क्या मुझे इस जॉब के लिए अप्प्ल्ये करना चाहिए ?
  क्या मेरे रिजुम per विचार किया जायेगा ?
            अब देखे आप के मन मे क्या जवाब सोचा
अगेर ये सवाल आपके मन को कोई परेशानी नहीं देता तो कोई बात नहीं पैर यदि को परेशानी होती है
तो देखे समस्या कहा से पैदा हो रही है
यदि हमें अपने पैर विस्वास बनाये रखना हो तो सबसे पहले अपनी नकारात्मक सोच को hataye
और अपने मैं विश्वास बनाये रखे
        

5 टिप्‍पणियां:

  1. सकारात्मक सोच परम आवश्यक है

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  2. आदरणीय,

    आज हम जिन हालातों में जी रहे हैं, उनमें किसी भी जनहित या राष्ट्रहित या मानव उत्थान से जुड़े मुद्दे पर या मानवीय संवेदना तथा सरोकारों के बारे में सार्वजनिक मंच पर लिखना, बात करना या सामग्री प्रस्तुत या प्रकाशित करना ही अपने आप में बड़ा और उल्लेखनीय कार्य है|

    ऐसे में हर संवेदनशील व्यक्ति का अनिवार्य दायित्व बनता है कि नेक कार्यों और नेक लोगों को सहमर्थन एवं प्रोत्साहन दिया जाये|

    आशा है कि आप उत्तरोत्तर अपने सकारात्मक प्रयास जारी रहेंगे|

    शुभकामनाओं सहित!

    डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
    सम्पादक (जयपुर से प्रकाशित हिन्दी पाक्षिक समाचार-पत्र ‘प्रेसपालिका’) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
    (देश के सत्रह राज्यों में सेवारत और 1994 से दिल्ली से पंजीबद्ध राष्ट्रीय संगठन, जिसमें 4650 से अधिक आजीवन कार्यकर्ता सेवारत हैं)
    फोन : 0141-2222225 (सायं सात से आठ बजे के बीच)
    मोबाइल : 098285-02666

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  3. इस सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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